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Saturday 9 June 2018

राजनीति में बनता बवाल : हनुमान बेनीवाल

    डॉ. नीरज मील

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घड़ियां नजदीक आ रही हैं। हर पार्टी अपने अपने हिसाब से तैयारियां कर रही है। इन तैयारियों में कुछ वायदे बनाने का कारोबार चल रहा है। तो कुछ पार्टियों के द्वारा वायदों को एक छोटा सा जा अमली जामा पहनाने का काम भी चलाया जा रहा है। लेकिन राजस्थान में जनता क्या फैसला करेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किया गया कार्य जनता को पसंद नहीं है। पिछले दिनों हुए  एक सर्वे के दौरान यह बात सामने आई है कि भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में अब वह मादा  नहीं रखती जो 2013 के चुनाव में दिखाया था। वैसे देखा जाए तो वसुंधरा सरकार द्वारा जो घोषणाएं 2013 के चुनावी घोषणा-पत्र में की गई थी उन घोषणाओं को जमीन पर नहीं उतारा जा सका। यही राजस्थान में भाजपा की वसुंधरा सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है। और इसी नाकामी से नाराज है राजस्थान की जनता। ऐसे में जब राजस्थान की जनता कांग्रेस को पसंद नहीं करती है और भारतीय जनता पार्टी जनता किये वायदे नहीं निभा रही है ऐसे में क्या हनुमान बेनीवाल राजस्थान को बेहतर विकल्प दे सकते हैं? ये सवाल बार- बार अनायास ही विचार पटल पर हर बार खड़ा हो जाता है। हनुमान बेनीवाल के साथ एक नई सोच, एक नई उमंग, नया उत्साह युवाओं में देखने को मिल रहा है।
जिस तरह हनुमान बेनीवाल ने नागौर, बाड़मेर, बीकानेर जैसे कई स्थानों पर बहुत बड़ी सभा का आयोजन कर न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि कांग्रेस के सामने भी एक बहुत बड़ी चिंता की लकीरें खड़ी कर दी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह युवाओं की भीड़ हनुमान बेनीवाल को एक बेहतर विकल्प की नजरिए से देख रही है? इन सभाओं के दौरान उमड़े युवा जन सैलाब को देखते हुए कहा जा सकता है कि हनुमान बेनीवाल के साथ राजस्थान का हर युवा संलग्न है। लेकिन क्या हनुमान बेनीवाल एक ऐसा विजन प्रस्तुत कर पाएंगे जो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को मात दे सकें। फिलहाल कहना मुश्किल है क्योंकि जहां भी हनुमान बेनीवाल द्वारा सभा की गई है या फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है उनमें हनुमान बेनीवाल खुलकर कुछ भी कह पाएं हैं। इस तरह की ख़ामोशी क्या हनुमान बेनीवाल के दिमाग में चल रहे तूफ़ान की वजह से तो नहीं है? क्या हनुमान बेनीवाल समय पर अपने पत्ते खोलकर राजस्थान को बेहतर विकल्प दे सकते हैं? ये तो वक्त ही बताएगा।
बहरहाल, खीवासर के इस निर्दलीय विधायक की शक्ति, ऊर्जा और युवाओं में व्याप्त लोकप्रियता राजस्थान के लिए बेहतर ही लग रही है। हनुमान बेनीवाल द्वारा राज्य में व्यवस्था परिवर्तन, किसानों की कर्ज माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने, बेरोजगारी का स्थाई समाधान, नहरी पानी, पूर्व सैनिकों की मांगों तथा पैरा मिलिट्री के जवानों को ड्यूटी पर प्राण अर्पित करने पर शहीद का दर्जा देने सहित कई मुद्दों को साथ लेकर चलना बेनीवाल की अदम्य और अद्भुत व्यक्तिगत सोच का नमूना हैं। इसी कड़ी में नागौर जिले के खींवसर विधानसभा से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल रविवार 10 जून को सीकर जिला मुख्यालय पर किसान हुंकार महारैली करेंगे। बेनीवाल का दावा है कि प्रदेश भर से लाखों लोग जुटेंगे। जन सभा का पूरा प्रसारण सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर लाइव किया जाएगा जिसके लिए आईटी से जुड़े लोगों ने अभी से तैयारियों को पूरा कर लिया है।
क्या सिर्फ 15 दिनों में झुंझुनूं, चुरु, जयपुर ग्रामीण, नागौर, सीकर तथा जोधपुर सहित कुल  6 जिलों में 200 से ज़्यादा नुक्कड़ सभाएं कर समर्थन जुटा पाने का प्रयास एक शानदार नेतृत्व क्षमता परिचय नहीं है? उल्लेखनीय है कि खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने 17 मई को सीकर जिला मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर 10 जून को सीकर में किसान हुंकार महारैली करने की घोषणा की थी। इसके बाद 21 मई से उन्होंने सीकर जिले में रैली को लेकर जन संपर्क अभियान की शुरुआत की। इसके बाद, जिले मे 200 से अधिक नुक्कड़ सभाएं। इस दौरान रोड शो व सभाओं में बेनीवाल का स्वागत किया गया। इस दौरान ही ग्रामीणों ने बेनीवाल को कहीं घोड़ी तो कहीं ऊंट पर बैठाकर उनका जुलूस निकाला। यह सभाएं व रोड शो देर रात तक चले। वहीं सोशल मीडिया पर भी विधायक बेनीवाल के प्रति युवाओं में उत्साह नजर आ रहा है। नागौर में दो साल पहले किया था किसान महारैली का आगाज।                                                                         खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने बताया की किसान हुंकार महारैली उस जन आंदोलन का हिस्सा है जिसका आगाज नागौर से 7 दिसम्बर 2016 को किसान हुंकार महारैली के माध्यम से की और प्रदेश भर के युवा और किसान इस बार परिवर्तन चाह रहा है।  बेबाकी के रूप में प्रसिद और चर्चित हनुमान बेनीवाल ने कि यह परिवर्तन राज्य मे तीसरे मोर्चे को पहले मोर्चे के रूप मे लाएगा, साथ ही उन्होंने कहा की वर्तमान शासन व्यवस्था अंग्रेजी हुकूमत के नक्शे कदम पर चल रही है और जिस जागीरदारी प्रथा को खत्म करने किसानों ने बलिदान दिया उस प्रथा का वापस उदय हो रहा है। इससे आमजन परेशान है।  बेनीवाल ने कहा की सीकर की रैली के बाद जयपुर मे किसानों व युवाओं के मुद्दों को लेकर रैली करेंगे और प्रदेश की जनता को नया राजनीतिक विकल्प देने की घोषणा भी जयपुर के मंच से करेंगे। एमएलए हनुमान बेनीवाल ने इससे पहले नागौर, बाड़मेर व बीकानेर में किसान महारैली कर चुके है। जिसमें लाखों लोग जुटे थे। 
 सीकर में अपनी चौथी हुंकार रैली का आयोजन करने जा रहे खींवसर विधायक और किसान नेता हनुमान बेनीवाल ने समाज के मंच से कहा कि यदि आप लोग साथ देंगे तो एक दिन किसान का बेटा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच सकता है। उन्होंने बोरानाडा वीर तेजा मंदिर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलने के लिए बेताब है, लेकिन सिर्फ वह हैं जो दोनों पार्टियों के खिलाफ बोलते हैं। लेकिन बेनीवाल का ये कथन एक संशय पैदा करने वाला है जिसमें उन्होंने कहा कि “आगामी चुनाव में या तो मैं खुद दूल्हा बनूंगा या फिर किसी सशक्त पार्टी की बारात का समर्थन कर सत्ता में लाउंगा। लेकिन कांग्रेस और भाजपा को कभी समर्थन नहीं दूंगा।“ यहां विजन की कमी और मंशा साफ़ झलक रही है।
 ऐसे में हनुमान बेनीवाल के साथ जो सपने युवा देख रहे हैं वो उनके वो सपने निश्चित ही टूटने वाले ही प्रतीत हो रहे हैं। सवाल यही खड़ा होता है कि क्या हनुमान बेनीवाल इस मामले में युवाओं से इमानदारी निभा पायेंगे? खैर स्थितियां जो भी हो हकीकत यही है कि बेनीवाल ने भाजपा एवं कोंग्रेस सहित सभी दलों की नींद उड़ा रखी है। हनुमान बेनीवाल जिन महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर खड़ा हुआ है वो मुद्दें राजस्थान के युवाओं से ही सीधे ताल्लुक रखते हैं। इसीलिए राजस्थान में बेनीवाल युवाओं का प्रतीक बनकर उभर रहा है। खींवसर विधायक और किसान नेता हनुमान बेनीवाल ने अभी तक अपना खुद का कोई विजन नहीं प्रस्तुत किया है। इस निर्दलीय विधायक की न तो विजन होने की संभावनों से इनकार नहीं किया जा सकता है और न ही इनकी दृढ इच्छाशक्ति  को नाकारा जा सकता है। हमें भी राजस्थान के साथ उम्मीद करनी चाहिए कि भाजपा एवं कांग्रेश की बजाय दूसरा विकल्प मिले। बेनीवाल के पास अहम् मुद्दों को लेकर उम्मीद है हनुमान राजस्थान के युवाओं को ना उम्मीद नहीं करेंगे और अग्रिम शुभकामनाओं सहित, कि बेनीवाल अपने आप में एक राजनैतिक विकल्प बनकर उभरेंगे .............  
 इंक़लाब जिंदाबाद।  
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