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Friday 8 June 2018

आरबीआई के त्वरित निर्णय की समीक्षा

डॉ. नीरज मील

    5 जून 2018 को भारत के केन्द्रीय बैंक आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को 0.25 फीसदी की दर से बढ़ाकर सबको चौंका दिया। वर्ष 2014 के बाद पहली बार वृद्धि हुई है। इस वृद्धि के साथ ही वर्तमान में यह दर 6.25 फीसदी हो गयी है। लेकिन इसका असर क्या होगा? ये बताने से पहले रेपो रेट क्या होती है? ज़िक्र करना जरुरी है। रेपो दर वह दर है जिस पर किसी भी देश के केन्द्रीय बैंक(भारत का केन्द्रीय बैंक रिजर्व बैंक है) द्वारा अन्य बैंकों को ऋण दिया जाता है। इसके विपरीत जिस दर पर केन्द्रीय बैंक द्वारा अन्य बैंकों से ऋण लिया जाता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है। वर्तमान में रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी है।
     रेपो और रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद बैंकों ने भी ब्याज दरों में जल्द इजाफे की तैयारी कर ली है। महाराष्ट्र बैंक के एमडी और सीइओ आर पी मराठे ने कहा है कि बैंकों के ऋण दरों में वृद्धि तय है। इसी तरह भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार के अनुसार “FALLCR(Facility to Avail Liquidity for Liquidity Coverage Ratio) अर्थात तरलता सुविधा उपलब्धि के लिए तरलता कवरेज अनुपात में अभिवृद्धि के फलस्वरूप बैंकों को अधिक तरलता मिलेगी। इससे किफायती आवासों के लिए प्रारम्भिक सीमा को बढाने में मदद मिलेगी।” हालांकि बैंकों ने ये भी कहा है कि तरलता कवरेज अनुपात में नकदी की उपलब्धता बढ़ने से रेपो दर में वृद्धि का असर जाता रहेगा। निजी बैंकों की प्रतिक्रिया में भी एचडीएफसी बैंक ने ट्वीट कर कहा है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का जो दौर शुरू हुआ है, आगे इस तरह की और वृद्धि हो सकती है। फसलों  के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत का डेढ़ गुणा किये जाने, वैश्विक बाज़ार में विभिन्न उपभोक्ता जिंसों के दाम बढ़ने का मुद्रास्फीति पर असर होगा। इसके चलते मौद्रिक नीति में आगे और कदम उठाये जा सकते हैं।
            इस प्रकार स्पष्ट है कि चुनावी साल में देश की अर्थव्यवस्था के सामने ब्याज दरें बढ़ने का खतरा भी मंडराने लगा है। जिससे होम लोन, ऑटो लोन एवं अन्य बैंकिंग लोन महंगा होना तय है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक ब्याज दरों में वृद्धि कर यह जाता दिया है कि वह समय रहते महंगाई पर अंकुश लगाने की नीति अपना रहा है। आर बी आई के गवर्नर एवं एमपीसी(मौद्रिक नीति समिति) के अध्यक्ष उर्जित पटेल ने बुधवार को बताया कि महंगाई बढ़ने का खतरा तो है लेकिन पूरे वर्ष में महंगाई की दर के लक्ष्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। हाल ही में अप्रेल 2018 में कहा गया था कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई की 4.8 से 5.1 रहेगी। इस अनुमान को अब घटाकर 4.7 से 4.9 कर दिया है। दूसरी छमाही के लिए पहले जो लक्ष्य 4.4 फीसदी था, उसे भी अब बढ़ाकर 4.7 फीसदी कर दिया गया है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि बीते चार साल में रिजर्व बैंक ने एक बार भी रेपो रेट नहीं बढ़ाया बल्कि इसमें क्रमश: कटौती की गयी है। हाँ यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस कटौती की बदौलत ही ये दर 8 प्रतिशत घटकर 6 फीसदी रह गयी है। जनवरी 2014 के बाद यह पहला मौका है जब रेपो रेट में वृद्धि की गयी है।
     2019 एवं 2018 के राज्य चुनावों को मध्यनजर रखते हुए होम लोन या अन्य क़र्ज़ महंगे होने की आशंका को कम करने के लिए कुछ उपायों का एलान भी भारतीय रिजर्व बैंक ने किये हैं। इसी के चलते महानगरों में होम लोन की सीमा 28 लाख से बढाकर 35 लाख कर प्राथमिकता क्षेत्र वाले कर्ज के तौर पर माना जाने की घोषणा हुई है। इसके अतिरिक्त गैर महानगरीय क्षेत्र में प्राथमिकता क्षेत्र वाले होम लोन की सीमा को 20 लाख से बढाकर 25 लाख रूपये किया गया है। इस सीमा में परिवर्तन का असर ये होगा कि बैंकों को कुल कर्ज का एक हिस्सा उक्त राशि तक के होम लोन लेने वाले ग्राहकों को देना होगा। इस श्रेणी के कर्जों पर ब्याज दर बढ़ाने में बैंक रियायत बरतते हैं।
     इस निर्णय को लेकर अगर हम महंगाई की चिंता छोड़ दे तो भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को लेकर कई उत्साहजनक बातें कही है। अब ये बाते कितनी सही और गलत होंगी ये तो वक्त ही बतायेगा। मसलन, निवेश में सुधार हो रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ने लगी है। नए दिवालिया क़ानून से भी सुधार की काफी उम्मीद की जा सकती है। इन सभी बिन्दुओं को देखते हुए चालू वर्ष के दौरान आर्थिक विकास की दर के अनुमान को 7.4 फीसदी पर पूर्ववत रखा गया है। हालांकि आर बी आई के गवर्नर एवं एमपीसी(मौद्रिक नीति समिति) के अध्यक्ष उर्जित पटेल ने महंगाई को लेकर चिंता व्यक्त की है लेकिन महंगाई के लिए कच्चे तेल की कीमतों को जिम्मेदार माना हैं। सही भी है कि अप्रेल 2018 के बाद कच्चा तेल 12 फीसदी महंगा हो चुका है और आगे भी इसमें तेजी बने रहने की पूरी-पूरी संभावना है।
     सम्पूर्ण मूल्यांकन के बाद कमी या वृद्धि किस तरह से होगी? उदाहरण के तौर पर अगर होम लोन की राशि 15 लाख है और मौजूदा दर 8.5 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 13,017 है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद ये किश्त 239 रूपये की वृद्धि होकर 13हजार दो सौ उनतालीस हो जायेगी। इसी तरह अगर होम लोन की राशि 35 लाख है और मौजूदा दर 8.5 फीसदी की ब्याज दर से  प्रतिमाह की किश्त 30,374 है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद ये किश्त 556 रूपये की वृद्धि होकर 30 हज़ार 930 रूपये की हो जायेगी। इसी तरह होम लोन की राशि 50 लाख में मौजूदा दर 8.5 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 43,391 है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद ये किश्त 795  रूपये की वृद्धि होकर 44,186 हो जायेगी। अर्थात 15 लाख के 20 साल के होम लोन पर कुल 57,360 की देनदारी अधिक होगी। दूसरी ओर कार लोन की राशि 2 लाख है और मौजूदा दर 9.4 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 4,191 रूपये है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद इस किश्त 4  रूपये की वृद्धि होकर चुकानी होगी। इसी तरह अगर कार लोन की राशि 5 लाख है और मौजूदा दर 9.4 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 10,477 रूपये है जो इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद इस किश्त 61 रूपये की वृद्धि होकर 10,538 हो जायेगी। इसी तरह कार लोन की राशि 10 लाख है और मौजूदा दर 9.4 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 20,953 रूपये है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद इस किश्त 122 रूपये की वृद्धि होकर 21,075 हो जायेगी। अर्थात 10 लाख के 5 साल के ओटो लोन पर कुल 7,320 की देनदारी अधिक होगी।
    व्यक्तिगत लोन की राशि 2 लाख है और मौजूदा दर 12.5 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 6,691 रूपये है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद इस किश्त में केवल 24 रूपये की वृद्धि कर चुकानी होगी। इसी तरह अगर व्यक्तिगत लोन की राशि 3 लाख है और मौजूदा दर 12.5 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 10,036 रूपये है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद इस किश्त में केवल 36 रूपये की वृद्धि होगी। इसी तरह व्यक्तिगत लोन की राशि 5 लाख है और मौजूदा दर  12.5 फीसदी है तो प्रतिमाह की किश्त 16,727 रूपये है तो अब इस .25 फीसदी की वृद्धि के बाद इस किश्त में केवल 60 रूपये की वृद्धि कर चुकानी होगी। यहां यह ज़िक्र करना जरुरी है कि इन गणनाओं में प्रतिमाह की किश्त की गणना औसत आधार पर की गयी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने CRR अर्थात नकद आरक्षी अनुपात में कोई बदलाव नहीं किया है। कुल मिलाकर प्रथम प्रथम दृष्टिया यही प्रतीत होता है कि ऋण उपभोक्ताओं के अतिरिक्त यह निर्णय उचित ही है। उम्मीद है आर बी आई की  एमपीसी(मौद्रिक नीति समिति) का इन दरों में वृद्धि का फैसला देश की अर्थव्यवस्था को संबल देने वाला हो.......
 इंक़लाब जिंदाबाद।  
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