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Tuesday 29 January 2019

किसान,किसानियत, कर्जमाफी और प्रधानमंत्री का नज़रिया

किसान,किसानियत, कर्जमाफी और प्रधानमंत्री का नज़रिया





र्जमाफी की राजनीति कब तक होगी?  किसानों पर सरकारें घड़ियाली आंसू कब तक बहाएगी?  क्या किसानों की बद से बदत्तर होती स्थिति में सुधार होगा? क्या सरकार के पास किसानों के लिए भी समय है या नहीं? सरकारों का लक्ष्य किसान और किसानियत को खत्म करना है? क्या सरकारों के पास किसानों को बर्बाद करने के मैकेनिज्म के अलावा कुछ और भी है! अव्यवस्था और बदहाली के लिए सरकारें कितनी जिम्मेदार? किसानों की बेकारी और बेगारी के लिए कौन जिम्मेदार? यूट्यूब पर विज्ञापनों के लिए सम्पर्क करें 97185130030 क्या सरकारों को किसानों की बेहतरी के लिए संकल्पबद्ध नहीं होना चाहिए? अपनी राय कमेंट के माध्यम से जरूर व्यक्त करें। आप अपनी राय ईमेल dr.neerajmeel@gmail.com भी कर सकते हैं।

तमाम प्रकार के सवाल हैं और सवालों के जवाब किसी के पास नहीं है लेकिन क्या बावजूद इसके देश की राजनीति में कोई ऐसा भूचाल आएगा? इसकी कल्पना करना भी सरासर बेईमानी है। आज स्थिति साफ है कि सरकारें किसान और किसान यत को बर्बाद करने पर तुली है। यह बर्बादी का आलम लगातार किसान को एक दशक के रूप में परेशान कर रहा है लेकिन हमें विश्वास है और किसान की मजबूती इस कदर इन सब षडयंत्रो के बावजूद हावी है जिसके चलते किसान परेशान हो सकता है पराजित नहीं। ऐसा ही कहा जाएगा संघर्षों से आदमी महान ही बनता है भले ही परेशानी हो और किसान के साथ भी यही लागू होती है।

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