डॉ. नीरज मील 'निःशब्द'
राजस्थान, मध्य प्रदेश या फिर देश के किसी अन्य हिस्से में अगर चुनाव हुए हैं तो चुनाव के तुरंत बाद एग्जिट पोल ऐसे आते हैं जैसे बाढ़ आ जाती हैं। चुनाव से पहले अपिनियन पोल, एक समय था जब अपिनियन पोल और एग्जिट पोल दोनों की ही बाढ़ आ जाया करती थी तब मतदाता भी अस्थिर हो जाता था। कई मतदाताओं के मन में तो वोट न करने का विचार भी इन अपिनियन पोल की वजह से आ जाता था। खैर, गनीमत है कि अब सिर्फ एग्जिट पोल की ही बाढ़ आती है, जैसा कि इन दिनों चल रहा है। राजस्थान विधानसभा चुनाव 7 दिसंबर को संपन्न हुए और शाम से ही टीवी चैनलों में एग्जिट पोल की होड़ सी मच गई। ये एग्जिट पोल हास्यास्पद भी थे और विचारणीय विषय भी। लेकिन क्या यह एग्जिट पोल किसी आधारभूत तथ्यों पर आधारित थे कहना मुश्किल ही नहीं नामुमक़िन है। वास्तविकता को पहचानिए कि आखिर ये एग्जिट पोल हैं क्या? और समझदारी इसी में है कि हमें एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर अपने आपसी संबंध खराब नहीं करने चाहिए और ना ही किसी के साथ कोई मनमुटाव पालना चाहिए। एक एक बाद एक आ रहे एग्जिट पोल की बाढ़ में लोग भूल जाते हैं कि चुनाव किन के बीच हुआ था! चुनाव के तुरंत बाद एग्जिट पोल इस तरह से आते हैं कि हमें सोचना पड़ता है कि किस एग्जिट पोल पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं? कौन सा एग्जिट पोल कितना सही है और कितना गलत? इसी बीच हम उन मुद्दों को भूल जाते हैं जो मुद्दे हम चुनाव से पहले अपने नेताओं से चर्चा करते हैं ताकि हम चुनाव के बाद, उन्हें चुनने के बाद विस्तृत रूप से उन से चर्चा करके अपने क्षेत्र के विकास और अपने आने वाले भविष्य के लिए अच्छे प्रयास करने की शुरुआत कर सकें। इन दिनों आ रहे एग्जिट पोल की स्थिति अखबारों में रोज आने वाले उस राशिफल के समान हो चुकी है जो कुंवारों को भी संतान सुख दे देते हैं। बड़ी ही हास्यास्पद बातें इन एग्जिट पोल के माध्यम से आती है इसलिए इन पर गौर मत कीजिए क्योंकि हम इन पर जितना गौर करेंगे उतना ही हमारा दिमाग खराब होगा। बेहतर होगा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश व् छत्तीसगढ़ की जनता 12 दिसंबर तक टेलीविज़न व अखबारों की छुट्टी कर दे!
2013 की एग्जिट पोलों पर नजर डालें तो राजस्थान में न्यूज़ सी वोटर्स ने बीजेपी को एक सौ तीस, कांग्रेस को अड़तालिश, बहुजन समाजवादी पार्टी की चार और अन्य को सत्र सीटें दी थी। जबकि एबीपी न्यूज़ ने भारतीय जनता पार्टी को एक सौ पांच, कांग्रेस को पचहत्तर, बहुजन समाजवादी पार्टी को कोई सीट नहीं दी थी और अन्य को 20 सीट दी थी। इसी तरह इंडिया टीवी व सी वोटर के सर्वे में भारतीय जनता पार्टी की एक सौ अठारह सीटें आ रही थी, कांग्रेस चौसठ के साथ अन्य पार्टियां बीस सीटों पर ही संतोष कर रही थी। इंडिया टुडे के एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी को एक सौ पांच सीटें, कांग्रेस को छिहत्तर व अठारह अन्य को मिल रही थी। इसी तरह ज़ी न्यूज का महा एग्जिट पोल की तरफ से भारतीय जनता पार्टी को एक सौ नौ, कांग्रेस को पैसठ व उन्नीस अन्य को मिलने का दावा किया गया था। सीएन एन आइबीएन ने सबसे ज्यादा आगे जाते हुए भी भाजपा को केवल एक सौ छब्बीस सीटें, कोंग्रेस को इकसठ और अन्य को बारह सीटें दी गई थी लेकिन जब परिणाम सामने आया तो राजस्थान के चार करोड़ छ: लाख आठ हजार छप्पन मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत में एक सौ तिरसठ सीटें दी जबकि कांग्रेस इक्कीस सीटें ही ले पाई वहीं अन्य का आंकड़ा भी कांग्रेस के लगभग बराबर ही रही। इससे पता चलता है न्यूज़ एजेंसियों, एग्जिट पोल की कंपनियों ने सिर्फ और सिर्फ अपने धंधे और अपनी कमाई के लिए एग्जिट पोल दिए थे जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं था। या यूं कहें कि इन एग्जिट पोल की कंपनियों ने केवल अपनी कमाई और अपने धंधे के लिए जनता को गुमराह किया और अपना उल्लू सीधा किया है। स्पष्ट इनके पास ऐसे संसाधन थे ना ही इनके पास ऐसी कोई प्राविधि ही थी जो इस तरह के पोल्स को सटीक स्तर तक ला सकें। देश में पूर्वानुमान की स्थिति वैसे ही खराब होती है लेकिन इन न्यूज एजेंसी एग्जिट पोल एजेंसियों ने यह साबित कर दिया कि देश में विकास अभी भी गर्दिश में ही है।
हाल ही में टुडेज चाणक्य ने 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बताया है की राजस्थान की विधानसभा में 199 सीटें में से एक सौ तेवीस सीटें कांग्रेस लेगी, अड़सठ सीटें भारतीय जनता पार्टी व आठ सीटें अन्य पार्टियां लेंगी। जबकि टाइम्स नाउ कहता है कि एक सौ पांच सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बनाएगी जबकि भारतीय जनता पार्टी को पिचासी सीटें मिलेंगी और नौ सीटें अन्य दल हासिल कर पाएंगे। इसी तरह इंडिया टुडे एग्जिट पोल का नतीजा है कि कांग्रेस को एक सौ तीस सीटें मिलेंगी तो भारतीय जनता पार्टी को तिरसठ सीटें व छः सीटें अन्य को। रिपब्लिक टीवी कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी सहित सभी को ही खुश करता नज़र आ रहा है और भाजपा को तिरानवे तो कांग्रेस को इक्यानवे व अन्य को पंद्रह सीटें बाँट रहा है। वही न्यूज़ नेशन दस सीटों का अंतर रखते हुए कांग्रेस को एक सौ एक और भारतीय जनता पार्टी को इक्यानवे सीटें और सात सीटें अन्य को देता है। न्यूज एक्स एक सौ बारह सीटों के साथ कांग्रेस की सरकार बनाने को आतुर है तो अस्सी सीटें ही भारतीय जनता पार्टी के झोले में डाल रहा है वहीं अन्य को काटते हुए केवल 7 सीटें दे रहा है। इंडिया टीवी वाला सर्वे एक सौ पांच सीटों के साथ कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए राजी है और भारतीय जनता पार्टी को पिचासी सीटों के साथ मजबूत विपक्ष की ओर ले जा रहा है तो अन्य दलों को नौ सीटें प्रदान की जा रही है। न्यूज 24 व पेस मिडिया अपने एग्जिट पोल में कहते हैं कि एक सौ पंद्रह सीटें कांग्रेस को मिलेगी और सरकार बनाएगी, वहीं भारतीय जनता पार्टी की पिचहतर सीटें आ रही हैं तो अन्य को नौ सीटें मिलेंगी। एबीपी सीएसडीएस के संयुक्त एग्जिट पोल के अनुसार एक सौ एक सीटें कांग्रेस को मिलेंगी व भारतीय जनता पार्टी को बयासी सीटों पर संतोष करना पड़ेगा और नौ सीटें अन्य को मिलेंगी। सी वोटर्स का स्वतंत्र पोल कहता है कि कि एक सौ सैंतीस सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है तो साठ सीटों के साथ एक मजबूत सा विपक्ष देने में कामयाब रहेगी भारतीय जनता पार्टी और केवल दो सीटें अन्य को दी जा सकती है। इसी तरह हम सभी एग्ज़िट पोल्स के औसत पर नजर डालें तो एक सौ बारह सीटें कांग्रेस को मिल रही हैं, अठहत्तर सीटें भारतीय जनता पार्टी को एवं नौ सीटें अन्य को मिल रही हैं। एग्ज़िट पोल की आयी बाढ़ और बहार में हर कोई भविष्य वक्ता बन रहा रहा है। नेताओं का पार्टियों का भविष्य बता रहा है। सोशल मिडिया पर भी इस तरह के अनेकों सर्वे की पोस्टें सजी हुई नज़र आ रही हैं तो यूट्यूब पर भी ऐसे सर्वे के कई वीडियों ट्रेंड में हैं और ट्रोल भी हो रहे हैं। ऐसे में मेरे मन में भी एक विचार आ रहां है कि पिछली बार की तरह इस बार भी जनता सभी सर्वे को धत्ता बताकर कांग्रेस को एकसौ पचास सीटें न दे दे या फिर नए विकल्प हनुमान बेनीवाल पर ठप्पा न लगा दे । अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा इन सर्वे कंपनियों का ?
ख़ैर, चुनाव के नतीजों के लिए जारी हुए एग्ज़िट पोलों के प्रति लोगों को उत्सुक नहीं होना चाहिए लेकिन नतीजों के प्रति लोगों की उत्सुकता को देखते हुए सभी न्यूज़ चैनलों ने और सभी सर्वे एजेंसियों ने शुक्रवार को जारी किए। एग्जिट पोल में जो परिणाम घोषित किए वह सभी को खुश रखने वाले परिणाम हो सकते हैं। अगर सरसरी नज़र डाली जाए और बात की जाए तो ऐसे में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान लगभग सभी ने लगाया है। इसी के साथ पिछले बार के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी को काफी नुकसान होने की आशंका भी है। इसलिए इन सब को हम मानक कसौटी पर खरा उतरता नहीं मान सकते हैं । चुनाव के नतीजों में सट्टे बाजार का भाव और सट्टे बाजार की स्थिति भी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं लेकिन उनके अनुसार भी कमोबेश कांग्रेस की सरकार बन रही है और भारतीय जनता पार्टी मजबूत और सशक्त विपक्ष की भूमिका में नजर आ रही है। लेकिन निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाएगी या कांग्रेस बनाएगी या फिर दोबारा चुनाव होंगे इस तरह की समस्त संभावनाओं पर पूर्णविराम 11 दिसंबर की दोपहर को ही लग पाएगा। लेकिन इतना तय है कि इन एग्जिट पोल्स को देखते हुए यह जरूर कहा जा सकता है कि यह सर्वे मात्र और मात्र अपने उल्लू को सीधा करने के लिए तैयार किए गए हैं जिनका हकीकत से कोई सरोकार नहीं होता है। इन एग्ज़िट पोल का एक मात्र उद्देश्य सटटा बाजार को गर्म कर पैसा कमाना और ट्रेंडिंग में रहकर पैसा कमाना ही था। शरणार्थी थाई एक बार पुनः जनता के मूल मुद्दों से भटकाने में भी सफल रहा है जो निश्चित ही उनके सुखद वर्तमान और भविष्य को भी पुख्ता करने वाले हैं। इंक़लाब ज़िंदाबाद।
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