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Monday 10 June 2019

क्या युवराज सिंह ने सन्यास मजबूरी में लिया है? | क्या युवराज सिंह का इस तरह से सन्यास लेना बीसीसीआई की बेइज्जती नहीं है?

       
        छह बॉल में छह छक्के मारने वाला वह हिंदुस्तानी बल्लेबाज !जब भारतीय टीम की फील्डिंग का दूसरे देश के खिलाड़ी मजाक उड़ाते थे तब क्षेत्ररक्षण को एक उच्च स्तर पर ले जाने वाले वह हिंदुस्तानी फील्डर ! कैंसर से लड़कर भी 2015 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला वह ऑलराउंडर खिलाड़ी ! अगर ऐसे मैं लिखने बैठ जाऊंगा तो पता नहीं कितने किस्से याद आना शुरू हो जाएंगे ! लेकिन इतने में ही मुझे उम्मीद है कि आप समझ गए हैं कि मैं किस खिलाड़ी की बात कर रहा हूं?


         जी हां मैं बात कर रहा हूं भारत के ऑल राउंडर खिलाड़ी, सिक्सर किंग व बहुत से अलंकृतों से नवाजे जाने वाले और युवाओं के चहेते युवराज सिंह की। आज उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है! क्या खेल ( क्रिकेट ) में भी घुस गई है राजनीति?  क्या युवराज का इस्तीफा बीसीसीआई की बेरुखी का प्रमाण नहीं है? इस तरह के सवाल तब उठते हैं जब बहुत कुछ गलत होता है।
          जब वह यह घोषणा कर रहे थे तब वह बहुत बाहुक नजर आए और लाजमी है जो इतने समय तक अपने देश के लिए खेला और उसको सन्यास लेने के लिए एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़े तब बाहुक होना तो लाजमी सा बन गया था क्योंकि आमतौर पर देखा जाता है कि खिलाड़ी एक अंतिम मैच खेल के खेल ग्राउंड से ही सन्यास लेता है ना की किसी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके।

           खुद युवराज सिंह ने इस बात का जिक्र तो नहीं किया लेकिन हम सब यह भली-भांति जानते हैं कि इतना बड़ा खिलाड़ी खेल मैदान से ही सन्यास लेना चाहेगा नाकी किसी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके। वैसे जब 2015 के वर्ल्ड कप टीम का चयन हो रहा था तब युवराज सिंह अच्छे प्रदर्शन कर रहे थे उस समय वर्ल्ड कप टीम चयनकर्ता ने युवराज सिंह को टीम में शामिल करने के लिए उस समय के कप्तान को कहा भी था लेकिन कप्तान ने साफ मना कर दिया था उस समय बीसीसीआई ही नहीं पूरा देश चा रहा था कि युवराज सिंह 2015 के वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा बने ओर बने भी क्यों ना 2011 के वर्ल्ड कप के हीरो थे और वर्तमान में अच्छे लय के साथ क्रिकेट खेल रहे थे।
      लेकिन वह खेल के अंदर राजनीतिक आई या फिर और कुछ पता नहीं लेकिन उसने उस खिलाड़ी को 2015 का वर्ल्ड कप खेलने से रोक दिया  यह सिर्फ युवराज सिंह के साथ नहीं हुआ है यह भारत के बेहतरीन बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के साथ भी हो चुका है और उन्होंने तो खुलेआम उस समय के कप्तान से नाराजगी भी जाहिर की थी कि मुझे एक अंतिम मैच खेलने का अवसर नहीं दिया !खेल में अगर यह राजनीति नहीं है तो फिर और क्या है?

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