डॉ. नीरज मील
क्या प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का सदुपयोग हुआ? क्या राष्ट्र की जनता का धन उद्देश्य पूर्ति में काम आ सका? देखिए सटीक व बेबाक विश्लेषण हम अनुपात विश्लेषण तकनीकी के आधार पर हम आंकलन इस वीडियो में करेंगे। कि क्या प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का सदुपयोग हो रहा है? Is the PMNR Fund being properly utilized?
पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी। प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब प्रमुखतया बाढ़, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, हृदय शल्य-चिकित्सा, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर आदि के उपचार के लिए भी इस कोष से सहायता दी जाती है। यह कोष केवल जनता के अंशदान से बना है और इसे कोई भी बजटीय सहायता नहीं मिलती है। समग्र निधि का निवेश अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य संस्थाओं में विभिन्न रूपों में किया जाता है। कोष से धनराशि प्रधान मंत्री के अनुमोदन से वितरित की जाती है। प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन संसद द्वारा नहीं किया गया है।
विश्लेषण के आधार पर हम आंकलन करेंगए जिसमे हम ये hypothesis लेकर चल रहे हैं कि देशवासी देश के लिए मर मिटने को तैयार हैं और देश पर आई आपदा अपने ऊपर आई आपदा से कही ज्यादा तवज्जों देते हैं, लिहाजा वे देश में प्रतिवर्ष की आवश्यकता अनुसार पूर्ण दान करते हैं। दूसरी हाइपोथिसिस ये लेकर चल रहे है कि सरकारी आंकड़े सही हैं एवं सरकार ने जितना खर्च किया है वो भ्रष्टाचार से मुक्त है। अनुपात विश्लेष्ण की तक्नीकानुसार प्राक्रतिक आपदा से निपटने व राहत प्रदान करने के लिए किए गए खर्च और के मध्य सम्बन्ध को आधार माना गया है। सम्बन्ध बराबर होना चाहिए अर्थात 1:1 यानी कि किया गया खर्च और प्राप्त हुई आय के मध्य बराबर का अनुपात ।
विश्लेषण के आधार पर हम आंकलन करेंगए जिसमे हम ये hypothesis लेकर चल रहे हैं कि देशवासी देश के लिए मर मिटने को तैयार हैं और देश पर आई आपदा अपने ऊपर आई आपदा से कही ज्यादा तवज्जों देते हैं, लिहाजा वे देश में प्रतिवर्ष की आवश्यकता अनुसार पूर्ण दान करते हैं। दूसरी हाइपोथिसिस ये लेकर चल रहे है कि सरकारी आंकड़े सही हैं एवं सरकार ने जितना खर्च किया है वो भ्रष्टाचार से मुक्त है। अनुपात विश्लेष्ण की तक्नीकानुसार प्राक्रतिक आपदा से निपटने व राहत प्रदान करने के लिए किए गए खर्च और के मध्य सम्बन्ध को आधार माना गया है। सम्बन्ध बराबर होना चाहिए अर्थात 1:1 यानी कि किया गया खर्च और प्राप्त हुई आय के मध्य बराबर का अनुपात ।
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