इंडिया, सीकर । आज एक किसान से मुलाकात हुई। किसान की व्यथा सुनकर आश्चर्य ही नहीं बल्कि घोर दुःख भी हुआ। सरकार और तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग पर सवाल दागने के लिए भी मन किया लेकिन कलम रुक गई क्योंकि इन दोनों में ही अगर जवाब देने की कुब्बत होती तो आज कोई सवाल ही खड़ा ही नहीं होता। हर दिन 31 से ज्यादा किसान सरकारी आंकड़ों में आत्महत्या क्यों करते?
मूंगफली को लेकर व्यापारी अब किसान आत्महत्या की एक और इबारत लिखने पर उतारू हैं। कारण जो जमीन में मूंगफली पत्ती निकालने के बाद जमीन में रही मूंगफली को लेकर है। उसमें तेल की मात्रा अधिक होती है और उत्पादन में कम। व्यापारी वर्ग इसकी कीमत कम देकर खुद ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। किसान इसी बात से खफ़ा हैं। इस आलम में हाड़तोड़ मेहनत से उपजाई उपज कोई क्यों फैंक दें? ऐसे में किसान आत्महत्या नहीं करे तो क्या करे जबकि फसल बेवजह लागत से आधे मूल्य पर मिले।
प्रकृति के साथ रहकर, मंडी से हारा।
अपनी उपज पाकर,व्यापारी से हारा।।
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