अम्बानी की डेटागिरी या जादूगिरी
लेखक- डॉ. नीरज मील
लेखक- डॉ. नीरज मील
"ये तय है कि रिलायंस का जादू एक बार फिर से सर पे चढ़ कर बोलेगा क्योंकि रिलायंस सेल्स की पिरामिड अवधारणा के साथ- साथ मनोवैज्ञानिक प्रभाव का भी बड़े स्तर पर प्रयोग कर रही है। शायद ये थ्योरी तीन पति अर्थात् जुए की ट्रिक से ज्यादा प्रेरित वैज्ञानिक प्रणाली है।"
कल अम्बानी ग्रुप के मुकेश अम्बानी ने रिलायंस जियो की 5 सितम्बर 2016 को सम्भूर्ण भारत में लॉन्चिंग की घोषणा ने बाज़ार में
खलबली मचा दी है। यह एक ऐसी घोषणा थी कि पूरे भारत वर्ष के संचार उद्योग को सकते
में ला दिया। वास्तव में रिलायंस की ये घोषणा न केवल भारत के आम नागरिकों को सस्ते
और सुन्दर इंटरनेट और सस्ती काल का हसीं सपना है बल्कि अम्बानी की रिलायंस को फर्श
से अर्श पर ले जाने की सुनियोजित रणनीति भी है, साथ ही साथ में टेलिकॉम उद्योग में
एक नयी चुनौती भी पेश कर दी है। इसी बीच एक अनचाही सूचना भी लोगो के बीच दे दी है
जिसकी वजह से पूरे टेलिकॉम उद्योग के काले मुनाफे की भी पोल खुल गयी है। आप खुद
सोचे कि जहा रिलायंस केवल 50 रुपये में 1 जीबी डाटा देने की घोषणा की है वाही इससे
पहले खुद रिलायंस भी 1 जीबी डाटा (21 दिन की वैधता के साथ) के लिए 121 रुपये वसूल
रहा हो वही एयरटेल 173 रूपए वसूल रहा हो तो कमाई कितनी हुई होगी ? कितना लूटा
होगा?
समय कितना बदल गया है उसका अंदाज़ा इस बात से
लगाया जा सकता है कि 1990 के दशक में जब कई कंपनियों ने अपनी मोबाइल सर्विस शुरू की
थी तब सिम कार्ड के लिए 1260 रुपये अलग से देने पड़ते
थे। कालांतर में भी स्मार्टफोन पर डेटा का इस्तेमाल भारत के बाज़ार में बहुत महंगा
था और सभी मोबाइल कंपनियों के लिए प्रीपेड कार्ड पर महीने के एक जीबी डेटा के लिए
क़रीब 250 रुपये देने
पड़ते थे। लेकिन अब मुकेश अम्बानी के अनुसार अब वो सिम कार्ड फ्री तो मिल ही रहा है उसके
साथ कई सर्विस भी फ्री हैं। इसके अलावा जियो लॉन्च के बाद कॉल रेट देखने की ज़रुरत
ही नहीं होगी। जबकि इससे पहले मोबाइल फ़ोन पर कॉल करने के लिए लोग सबसे सस्ते
प्लान ढूंढते थे। स्मार्टफोन पर डेटा का इस्तेमाल
भारत के बाज़ार में बहुत महंगा था और सभी मोबाइल कंपनियों के लिए प्रीपेड कार्ड पर
महीने के एक जीबी डेटा के लिए क़रीब 250(4जी के लिए) रुपये देने पड़ते थे। लेकिन जियो इसके लिए सिर्फ़ 50 रुपये लेने की बात कर रहा है
यानी पाँच गुना सस्ता। मुकेश अम्बानी के अनुसार जियो लोगों से सिर्फ़ डेटा के
इस्तेमाल के लिए पैसे लेगा। फिलहाल, तीन महीने तो डेटा व कॉल
भी फ्री हैं।
अब हम ज़िक्र करते है इस घोषणा के असर की। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की सालाना आम बैठक में चेयरमैन
मुकेश अंबानी जब जियो की लॉन्चिंग का ऐलान कर रहे थे, शेयर बाज़ार
में भारती एयरटेल, आइडिया और उनके भाई अनिल अंबानी की कंपनी
रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयर धड़ाधड़ टूटते जा रहे थे। मुकेश अंबानी
ने दावा किया कि मौजूदा काल और डेटा की दर की तुलना में ग्राहकों को 90 फ़ीसदी कम
दरों पर इंटरनेट उपलब्ध कराया जाएगा।आइडिया सेल्युलर का शेयर 9
प्रतिशत तक टूटकर 85 रुपए तक गिर गया और 52
हफ्ते के निचले स्तर पर पहुँच गया।भारती एयरटेल के शेयर में भी करीब
9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई ये 302 रुपए तक के स्तर पर पहुँच गया।इसी तरह रिलायंस कम्युनिकेशंस का शेयर भी 6
फ़ीसदी टूटकर 50।40 रुपए
तक के स्तर तक पहुँच गया। ये तो बात थी शेयर के भावों की अब बात करते है सर्विसेज
की फीस की। जहाँ भारती एयरटेल इस घोषणा से पहले 1 जीबी मासिक उपभोग के 259 रुपये
प्रति माह वसूल करती है उसने परोक्ष रूप में इसे कम करके 175 रूपये कर यानी कि
अपनी फीस का 33 फीसदी कम करणा पड़ा है। लगता है 33 फीसदी की कमी से काम नहीं चलेगा
क्योंकि मुकेश अंबानी ने घोषणा की है कि जियो के
ग्राहकों के लिए फ्री वेलकम ऑफर 5 सितंबर से शुरू होकर 31 सितंबर तक रहेगी। चार महीने
तक ग्राहकों को डेटा सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी।
अब प्रश्न ये है कि आखिर इस
घोषणा के पीछे मुकेश अम्बानी का मकसद क्या है? व्यावसायिक व्यूह रचना के गर्भ में
जाने से पता चलता है कि इतना कुछ फ्री कर देने के बाद भी जियो कम्पनी फायदे में ही
रहेगी लेकिन किस तरह ? ध्यान दीजिये मुकेश अम्बानी के उस बयान पर कि उन्होंने अपनी टीम को लक्ष्य
दिया है कि कम से कम समय में 10 करोड़ उपभोक्ता बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाएं। अर्थात्
सालाना आय की गणना इस प्रकार है –
10,00,00,000 उपभोक्ता
और आगम चक्र (एक साल में) = (365/28) = 13
एक चक्र की आय = (10,00,00,000X
51) = 5 अरब 10 करोड़
13 आगम चक्रों से कुल आय = 5।10करोड़ X 13 = 66 अरब 30 करोड़
अब
भारती एयरटेल के पुराने 4 जी प्लान के
अंतर्गत आय की गणना करते है। दोनों का तुलनात्मक अध्ययन इस प्रकार है –
नोट- ये माना गया है कि रिलायंस जियो के प्लान मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रभावित करने वाले हैं।
तालिका
अनुसार हम देख सकते है कि रिलायंस की जियों किस प्रकार बेहतर है ! किस प्रकार अन्य
कंपनियों से क्यों सस्ता दे रही है? तकनीकी रूप से देखे तो पता चलता है कि हर 300
मीटर अर्थात् लगभग 600मीटर की दूरी पर टावर होना जरुरी जोकि फ़िलहाल नज़र नहीं आ रहे
हैं। दूसरी तकनीकी बात ये है कि कि फ्री कालिंग का वादा इन्टरनेट से है न कि
सामान्य नेटवर्क से। अत: मुकेश अम्बानी के दावे कितने पुख्ता है ये समझाने में
ज्यादा देर नहीं लगेगी।
ज्ञात
रहे कि मोबाइल फ़ोन और मोबाइल इंटरनेट के बाज़ार के कई पुराने नियम बदल सकते हैं।
टाटा डोकोमो के प्रति सेकंड बिलिंग प्लान से भी कंपनियों पर थोड़ा असर हुआ था।जुलाई
में एयरटेल ने अपने मौजूदा 3जी और 4जी पैक की दरों में 67 फ़ीसदी
तक की कटौती कर दी थी। मोबाइल सेवाएं देने वाली अन्य कंपनियों आइडिया और वोडाफ़ोन
ने भी अपनी दरों में कटौती की थी। लेकिन ये साल में दूसरी बार हो रहा है जब मोबाइल
सेवा में रिलायंस के आने से बाज़ार में कॉल करने की क़ीमतों में भरी गिरावट होगी।
कुछ भी हो ग्राहकों को फायदा हो न हो लेकिन इंडस्ट्री की बल्ले-बल्ले होनी तय है। आप अपने कमेंट जरुर शेयर करें ...
- डॉ. नीरज मील
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